स्याह उजाले के धवल प्रेत - भाग 4

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भाग -4 दूसरी तरफ़ वासुदेव का विश्लेषण, अनुमान शत-प्रतिशत सही होता गया। दंगा और ज़्यादा फैलता चला गया देखते-देखते तीन-चार दिन में क़रीब पाँच दर्जन क्षत-विक्षत लाशें मिलीं। एक आईबी अफ़सर को सूअरों ने धोखे से खींच कर उसे चाकू से छलनी कर दिया। उसके शरीर के अंग-अंग काट दिए, आँखें निकाल लीं।  चाकुओं के चार सौ घावों से बिंधा उनका शव एक गंदे नाले में फेंक दिया। नीचता की हद यह कि नाले की गाद (सिल्ट) में जितना गहरे हो सकता था, उतना गहरे दबा दिया। यह समाचार देख कर वासुदेव ने बच्चों का भी ध्यान नहीं रखा, भयंकर