भाग -2 लेकिन दया का यह जतन भी सिरे से ख़राब हो गया। वासुदेव शांत होकर बच्चों को बाहर ले जाने की बात पर भड़क कर कहता है, “कैसी मोटी बुद्धि की औरत है रे। तनको दिमाग़ है खोपड़ी में कि ख़ाली गोबर भरा है। जब देखो तब बराबरी करेगी कि हमहू तोहरे तरह पढ़े हैं, बी.ए. पास हई। अरे पढ़-लिख कर परीक्षा दिए रहो या बाप-महतारी पैसा-रुपया देकर कॉपी लिखवा दिए थे, या जैसे हमरे कॉलेज में हम-सब किताबें से छाप के डिग्री ले आए थे वैसे ही पढ़े हो। “अरे इतनी मोटी बात समझ में नहीं आ रही