दो कुछ समय बाद सुष्मिताजी का तबादला दूसरे शहर में हो गया। उन्होंने पहले कोशिश की कि वे यहीं बनी रहें पर अंतत: उन्हें जाना ही पड़ा। जब उनका वहाँ से जाना तय हो ही गया तो उन्होंने एक बार रत्ना से विनती की कि वे नमिता को उनके साथ भेज दें। रत्ना को भला क्या एतराज होता। नमिता तो वैसे भी सुष्मिताजी से ही चिपकी रहती। रूपा अब कॉलेज में आ गयी थी और कॉलेज में आने के साथ-साथ एक परिवर्तन उसमें यह आया था कि उसे अब अपने घर का गणित उलझाने लगा था। अपने परिवार के गृह-त्रिभुज