प्रबोध कुमार गोविल हर उस व्यक्ति के नाम जिसे देखकर लगे कि इंसान को ऐसा ही होना चाहिए एक यह कहानी जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं यह हमारी लिखी हुई नहीं है। ऐसी कहानियाँ कोई लिख भी नहीं सकता। ऐसी कहानियाँ तो 'जी’ जाती हैं और उन्हें रचते हैं उनके पात्र, उन्हें गढ़ता है समय और उन्हें उगाती है जिन्दगी। फिर उन्हें शब्दों में भींच कर पाठकों के मन-पत्तल पर परोसने का काम तो कोई भी ऐरा-गैरा नत्थूखैरा कर सकता है। सुष्मिताजी एक ऐसा ही पात्र थीं, जो थीं, हुईं, और उनके होने के इर्द-गिर्द,