में और मेरे अहसास - 105

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मुस्कान होंठों पे सजाए रखना l जिगर में हौसला बनाए रखना ll   एकतरफ़ा ही सही सिद्दत से l प्यार के रिसते निभाए रखना ll   ग़मों से भरी जिंदगी में हर पल l मुहब्बत का जाम पिलाए रखना ll १६-६-२०२४    मौसम की पहली बारिस गिरते ही बिखर जाता हूँ l फिर यादों की बौछार आते ही संभल जाता हूँ ll   आशिक बनकर बदनाम हो गया हूँ फ़िर भी आज l ख़्यालों में उनके एक तबस्सुम से निखर जाता हूँ ll   पवन की लहरकी उनकी मदमाती अह्सास ले आई l फ़िज़ाओं में खुशबु की महक से सँवर