उत्कर्ष-अभिलाषा - भाग 3

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"आइए-आइए हमारे सरकार बहादुर का स्वागत है जो इस खतरनाक द्वीप पर खतरों से खेलकर सही-सलामत लौट आए।" पायलट ने एक बार फिर आगे बढ़कर उत्कर्ष को गले लगाते हुए उसकी पीठ पर हाथ फेरा। प्रणय, जिसका चेहरा पायलट के चेहरे की तरफ ही था उसने उसके रंग उड़े हुए चेहरे को देखकर मज़ाकिया अंदाज में तंज कसते हुए कहा "क्यों भाई क्या हो गया तुम्हें? हमें देखकर तुम्हारी आवाज़ इतनी काँप क्यों रही है? तुम कहीं ये तो नहीं सोच रहे थे कि कोई खतरनाक साँप आकर उत्कर्ष को डंस लेगा और फिर तुम अकेले ही जहाज उड़ाते हुए