मैं तो ओढ चुनरिया - 58

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  मैं तो ओढ चुनरिया    58   जेठानियाँ जैसा उन्होंने मुझे बताया था कि वे रिश्ते में मेरी जिठानी लगती हैं , मुझे लड्डू खिलाकर थाली वहीं मेरे सामने रख कर एक बार गायब हुई तो दोबारा नजर नहीं आई ।। लड्डू और बालूशाही खाकर पेट को थोङी शांति मिली तो इतनी देर से रोकी हुई नींद सिर पर सवार हो गई । पता नहीं इस नये घर में मुझे सोना कहाँ है , किससे पूछूं , कोई दिखाई ही नहीं दे रहा । ये औरतें तो उस नये पैदा हुए बच्चे को घेरे होंगी । आखिर जब बैठ