भारी डिप्रेशन मैं भारी डिप्रेशन में हूँ। मुझे वे लोग याद आने लगते हैं जिन्होंने डिप्रेशन के चलते आत्महत्या कर ली। तो क्या यह डिप्रेशन मुझे चौथी मंजिल से कूदने पर मजबूर कर देगा? कभी-कभी बड़ी बेचैनी महसूस होती है, घबराहट होने लगती है, हमेशा शरीर में थकान बनी रहती है और अपने को ऊर्जा हीन पाता हूँ। यह करूँ या वो करूँ हमेशा उलझन बनी रहती है। निराशा ने तो जैसे मन में डेरा जमा रखा है। कहीं बाहर जाना अच्छा नहीं लगता किसी से मिलना-मिलाना नहीं भाता। सारी गतिविधियां जैसे नीरस हो गई है। चिंताएं बराबर