श्रीमद्भगवद्गीता मेरी समझ में - अध्याय 18

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अध्याय 18 (भाग 1) मोक्ष संन्यास योग हम श्रीमद्भागवतगीता के अंतिम अध्याय पर आ गए हैं। इस अध्याय में संन्यास और त्याग का वर्णन है। कर्म, कर्म के घटक एवं कर्म फल और तीनों गुणों का इन पर प्रभाव बताया गया है। अध्याय के आरंभ में अर्जुन संन्यास और त्याग के विषय में प्रश्न करते हुए कहता है कि हे महाबाहु मैं संन्यास और त्याग की प्रकृति के संबंध में जानना चाहता हूँ। हे केशिनिषूदन, हे हृषिकेश मैं दोनों के बीच का भेद जानने का भी इच्छुक हूँ।परम भगवान ने उत्तर देते हुए कहा कि कामना से अभिप्रेरित कर्मों के