निमिता कहानी/ Sharovan ***'परमेश्वर की आदत यदि बच्चों समान न होती तो वह क्यों इंसानी खिलौनों को बनाता, तोड़ता, फिर बनाता और फिर तोड़ता— उनसे खेलने के पश्चात किसी को कहीं फेंक देता, कोई कहीं पड़ा होता है, तो कोई कहीं . . . कितना अच्छा होता यदि परमेश्वर के पास भी हम सब की जैसी मां भी होती तो कम से कम हम टूटे और फेंके हुये खिलौनों को कोई सही स्थान पर रखनेवाला, उनको संभालने वाला और उनके टूटे हुये हाथपैरों को फिर से जोड़ने वाला तो होता। बच्चों के खेलने के बाद टूटे और फेंके हुये खिलौनों