लागा चुनरी में दाग़--भाग(५६)

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प्रत्यन्चा आउटहाउस से घर आई और आज उसने गुस्से में आकर खाना खाना नहीं छोड़ा,उसने अपने लिए थाली परोसी और थाली परोसकर वो अपने कमरे में आ गई,फिर वो फर्श पर खाना खाने बैठ गई,एक निवाला मुँह में डालते ही उसे रोना आ गया,लेकिन उसने तब भी खाना खाना नहीं छोड़ा,रोते रोते वो मुँह में खाना ठूँसती जा रही थी और दुपट्टे से आँसू पोछती जा रही थी,उसे धनुष की हालत और उसकी बातों पर बहुत रोना आ रहा था,उससे धनुष की तकलीफ़ देखी नहीं जा रही थी,वो सोच रही थी कि अभी उनका ये हाल है और अगर वो