सन्यासी -- भाग - 10

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और उधर घर पर आज नलिनी को उसकी बहूओं ने कोई भी काम नहीं करने दिया,इसलिए आज नलिनी का पूरा दिन बड़ा ही आलस भरा बीता,जब जयन्त काँलेज से घर आया तो सबसे पहले वो नलिनी का हाल चाल लेने उसके कमरे पहुँचा,तब नलिनी उससे बोली... "आज तो मैं बैठे बैठे ही थक गई,अगर मैं दो तीन दिन यूँ ही फुरसत से बैठी रही तो बिलकुल से पागल ही हो जाऊँगीं" "माँ! अब तुम्हारी उम्र काम करने की नहीं आराम करने की है,इसलिए तुम केवल आराम ही किया करो", जयन्त नलिनी से बोला... "बेटा! मुझे आराम करने की आदत नहीं