सन्यासी -- भाग - 8

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जब दोपहर के बाद जयन्त काँलेज से लौटा और उसने सुना कि माँ को चोट लग गई है तो वो फौरन भागा भागा अपनी माँ के कमरे में पहुँचा और अपनी माँ नलिनी से चोट लगने का कारण पूछा,तब नलिनी ने उसे सारा हाल कह सुनाया.... तब जयन्त ने नलिनी से कहा... "माँ! जब तक तुम्हारी चोट ठीक नहीं हो जाती तो तब तक तुम कुछ भी काम नहीं करोगी" "अरे! ऐसा तो लगता रहता है,तो क्या घर के सारे काम काज छोड़कर आराम करने बैठ जाऊँ",नलिनी बोली... "और क्या? अब तुम केवल आराम करोगी,जिन्दगी भर बहुत कर लिया तुमने