अध्याय 14 गुण त्रय विभाग योगपिछले अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था कि क्षेत्र अर्थात शरीर प्रकृति से उत्पन्न है। जबकि क्षेत्रज्ञ आत्मा ईश्वर का अंश है। प्रकृति से उत्पन्न होने के कारण शरीर उसके गुणों से प्रभावित होता है। जिसके कारण धीरे धीरे दुर्बल होकर उसका अंत हो जाता है। जबकि आत्मा ईश्वर का अंश होने के कारण अविनाशी है। प्रस्तुत अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति के तीनों गुणों के बारे में बताया है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि अब मैं तुम्हें वह ज्ञान दूँगा जो परम उपयोगी है। जो इस ज्ञान को आत्मसात करते हैं वह मेरी