अध्याय 13 क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग पिछले अध्याय में भक्ति के विषय में बताया गया था। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि जो अपना चित्त मुझमें केंद्रित कर अपने कर्म तथा उसके फल मुझे समर्पित कर देता है वह मेरे निकट है। वह भक्त मुझे प्रिय है जो सबके कल्याण की कामना करते हुए हर स्थिति में समभाव रखता है। जो भक्त माया मोह से परे रहकर मुझमें ध्यान लगाता है वह मेरे निकट रहता है। भक्ति के बारे में जान लेने के बाद अर्जुन के मन में नए प्रश्न खड़े हुए। उसने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि हे केशव