द्वारावती - 26

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26केशव जब शिला के समीप पहुँचा तब गुल उस शिला पर बैठी थी। आज केशव ने उसे आकृति नहीं माना।“केशव, तुम्हें आज भी इस शिला पर बैठने का अवसर नहीं मिलेगा।”“तो क्या?”“तुम नीचे कन्दरा में जाओ। मैंने तुम्हें कहा था ना कि कंदरा में रहकर तुम यदि उन मंत्रों को सुनोगे जो इस शिला पर बैठ कर कोई उच्चार करता है तो वह एक अद्भुत अनुभव होता है। मैंने उस अनुभव को प्राप्त किया है। मैंने तुम्हें वचन दिया था कि एक दिवस मैं यहाँ से मंत्रों का गान करूँगी और तुम इस कन्दरा में जाकर उसे सुनोगे। तुम्हें इस