पलछिन

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ज़िन्दगी कभी ना कभी हमें, एक मोड़ पर ले आती है, जहां हमें मजबूरी में अपने पाँव रखने पड़ते हैं। जिसकी कोई मंजिल नहीं होती है। होता है, तो बस सफर भर का साथ, और फिर एक मोड़ पे आकर, बिछड़न।रोहित के लिए भी ऐसा ही कुछ हुआ। COVID के आगे उसकी नौकरी का आशियाना ढ़ह गया। परिवार की जिम्मेदारी को अपने कांधे पर ढोने के लिए नई नौकरी आवश्यक थी। नये संकट के सामने, एक नई नौकरी की तलाश में, उसने अपने साथियों को सूचित किया। किसी भी संकट की घड़ी में, निकटतम लोग हमारा सहारा बन सकते हैं,