यादों की अशर्फियाँ - 7. शिक्षक दिन

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7. शिक्षक दिन रिसेस का वक्त था। सभी अपने अपने चहीते मित्र के साथ राउंड बनाकर नाश्ता कर रहे थे। हमारे ग्रुप का नाश्ता खत्म गया था। और अब ध्रुवी की मस्ती और मौज का पिटारा खुल गया था। धुलु और में उसकी बनाई हुई कागज़ की 'लुडो' खेल रहे थे। कुकरी की जगह पर हमारे नाम लिखी हुई चिट्ठी थी। और पासा वह खुद लेकर आई थी। दूसरे मित्र बाते कर रहे थे। कनक टीचर नीम के घने पेड़ की छांव में बैठ कर किसी का लिस्ट बना रहे थे। उसके चारो और इतने स्टूडेंट्स जमा हो गए थे