द्रोपदीबाई के घर आज विजय कुमार खुद आए। बाहर से ही आवाज लगाई-‘ सरपंच जी हैं?’ वे तब अपनी भैंस की सेवा में थीं,।उसे दूध निकालने के बाद उसके पाड़े को दूध पिला रहीं थीं। वहीं से आवाज दी –‘सेकेटरी साब! बैठो, मैं अभी आई ।‘वे पाड़े को बांध कर पौर में आईं,बोली –‘सेक्रेटरी साब! आज सबेरे-सबेरे एकदम कैसे?’तो विजय कुमार जो पंचायत सेक्रेटरी थे बोले ‘-भाई साब कहां हैं ?उनके साथ आज शहर जाना था, बात तो हुई थी ।‘द्रोपदी बाई-‘वे तो रिश्तेदारी में गए,कल रात को ही उनके साढ़ू मतलब मेरे जीजाजी आ गए सो भोर ईं निकर