बाहर बरामदे में वैशाली जी हरी किशन जी बैठे बातें कर रहे थे तब ही भव्या वहा आती और कहती है ' माँ पिताजी दीदी ने खाना बना लिया है आ जाइये खाना खाते है"चलो चले खाना खाते है " हरी किशन जी ने कहा और दोनों वहा से उठ कर भव्या के साथ चल दिए ।हिमानी ने सारा खाना नीचे ज़मीन पर थालियो में परोस दिया था और सब खाना खाने बैठ गए।"दीदी सब्जी बहुत स्वादिष्ट बनी है आप के जाने के बाद आपसे ज्यादा आपके खाने की याद आएगी मुझे भव्या ने कहा" तो तू भी सीख ले