लागा चुनरी में दाग़--भाग(४५)

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फिर धनुष भी अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया और प्रत्यन्चा के बारें में सोचने लगा.... " कैंसी लड़की है ये,जब देखो तब नाक पर गुस्सा रखा रहता है,अगर मैं गुस्से में था तो क्या वो नर्मी से बात नहीं कर सकती थी,लेकिन नहीं महारानी साहिबा जाने अपनेआप को क्या समझती है,मैं भी अब उससे पहले से बात नहीं करूँगा,देखता हूँ भला कब तक रुठी रहती है मुझसे,गलती खुद करती है और गुस्सा मुझ पर करती है,अब मैं भी आगें से बात करने वाला नहीं" और ये सब सोचते सोचते धनुष सो गया.... और इधर डाक्टर सतीश और उनकी माँ