लागा चुनरी में दाग़--भाग(३९)

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प्रत्यन्चा धनुष को खिचड़ी खिला रही थी और धनुष सकुचाते हुए खिचड़ी खा रहा था और मन ये सोच रहा था कि कैंसी लड़की है ये,गलत बात पर बस खून पीने वाली चण्डी बन जाती और जब सेवा करने पर आती है तो ये नहीं सोचती कि सामने वाला इसके साथ कैंसा बर्ताव कर चुका है,क्या कुछ नहीं किया मैंने इसे जलील करने के लिए, घर से निकालने के लिए,लेकिन ये वो सब बातें भूलकर मेरी मदद करने बैठ गई,मेरे लिए खुद खिचड़ी बनाकर लाई और अब खिला भी रही है..... ये सोचते सोचते धनुष प्रत्यन्चा के चेहरे की ओर