लागा चुनरी में दाग़--भाग(३५)

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जब भोर हुई तो विलसिया ,सनातन,पुरातन और प्रत्यन्चा ड्राइवर रामानुज के साथ अस्पताल की ओर चल पड़े,वे सभी अस्पताल पहुँचे तो पता चला कि धनुष को अभी तक होश नहीं आया है,भागीरथ जी ने बहुत मायूस होकर सबसे ये बात कही.... तब विलसिया भागीरथ जी से बोली.... "बड़े मालिक! दुखी होबे की जरूरत नाहीं है,हमार छुटके बाबू का कुछु ना होई,देखिओ तनिक देर मा हम सबही का खुशखबरी मिल जाई कि हमार छोटे बाबू एकदम ठीक हैं" "आशा तो यही है विलसिया! हमने तो खुद को सम्भाल लिया है लेकिन उसके बाप को तो देखो,कैंसा परेशान दिख रहा है,रात भर