लागा चुनरी में दाग़--भाग(३१)

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रात का वक्त,डाक्टर सतीश राय की माँ शीलवती जी रात का भोजन परोसते हुए उनसे बोलीं.... "वैसे प्रत्यन्चा है बड़ी सुन्दर" "हाँ! ठीक है",सतीश राय बोले.... "और व्यवहार कुशल भी जान पड़ती है,भागीरथ जी ने बातों बातों में बताया था कि वो खाना भी बहुत अच्छा बनाती है",शीलवती जी बोलीं... "हाँ! तो होगी,लेकिन तुम्हें क्या लेना देना इन बातों से",डाक्टर सतीश राय ने अपनी माँ शीलवती जी से पूछा... "मेरे कहने का मतलब है कि बहू ऐसी ही सर्वगुण सम्पन्न होनी चाहिए",शीलवती जी बोलीं.... "माँ! जब देखो तब तुम्हारी घड़ी की सुई बहू पर ही आकर क्यों अटक जाती है",डाक्टर