द्वारावती - 21

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21एक नूतन प्रभात ने जन्म ले लिया। केशव समुद्र की उसी कन्दरा पर स्थित वही शिला पर बैठा था। प्रणव नाद कर रहा था। आज उसने आँखें बंद नहीं की थी। खुली आँखों से वह ओम् का जाप कर रहा था। आज वह सूर्य की दिशा में, सूर्य के सम्मुख नहीं बैठा था। वह उस दिशा में बैठा था जिस दिशा में कल गुल अपने घर की तरफ़ दौड़ गयी थी। खुली दृष्टि रेत के उस भाग पर स्थिर थी जहां कल गुल के पदचिन्ह थे। वह ओम् का जाप तो कर रहा था किंतु उसका मन, उसका ध्यान आज