हमसफर - 6

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आस्था मेरी प्यारी बेटी कह कर उन्होंने आस्था को गले लगा लिया और वह दोनों खाना खा कर बैठ गए खाना खत्म होने के बाद आस्था फिर से अपनी पढ़ाई में लग गई और आस्था की मां वृंदा महा गुरु जी की बातों के बारे में सोचने लग गई दोनों भी नहीं जानते थे कि कल का दिन उनकी जिंदगी में कितना बड़ा तूफान लाने वाला है ,,,, अगली सुबह हमेशा की तरह हुई आस्था तैयार होकर अपना पेपर देने चली गई वही मां रोज की तरह खेत में,,, अजिंक्य जी जयपुर से आस्था के गांव के लिए निकल चुके