अबोध पग

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ढोलक वाला   ‘जग वाला मेला यारो! थोड़ी-थोड़ी देर दा    लंघ गई रात पता नहीं सवेर दा........। उस समय के इस प्रसिद्ध गाने के यह बोल तो शायद बच्चों के कानों तक न पहुँच पाए हों, परन्तु ढोलक पर पड़ी हाथ की थाप उन तक ज़रूर पहुँच गई थी। ढोलक वाला आ गया!‘ढोलक वाला आ गया! की गूंज के साथ पूरी गली का सन्नाटा कोलाहल में बदल गया। गली के छोटे-बड़े सभी बच्चे उस ओर भागने लगे। जो उम्र में बड़े थें उन्होंने सबसे पहले बाज़ी मार ली थी। लड़कियों को उनके साथ किए गए भेदभाव पर गुस्सा आ