15रात्रि भर गुल निद्रा से दूर रही। वह चिंतन करती रही किंतु चिंता से मुक्त नहीं हो सकी। दूर चार बार शंखनाद हुआ। तारा स्नान का समय हो गया था। गुल उठी, कक्ष से बाहर आइ और स्नान के लिए समुद्र की तरफ़ जाने लगी। “उत्सव, तुम्हें निंद्रा नहीं आइ?”उत्सव ने गुल के मुख को देखा, थकी आँखों को देखा। “गुल, मुझे तो रात्रि भर जागने का अभ्यास है। किंतु तुम क्यूँ नहीं सो पाई? कोई चिंता से ग्रस्त हो क्या?”गुल ने मिथ्या स्मित करने का प्रयास किया, विफल रही। “मिथ्या प्रयासों से सत्य को छुपाना भी नहीं आता तुम्हें।”“मेरे