Ep ३७बेताल की चट्टान ३ “और यदि पालकी चली गई तो?” राज ने जल्दी से कहा। "तो फिर!" भावर्ष ने थोड़ी देर तक आसमान की ओर देखा और आगे बोला। "तो मैं तुम्हें दो हजार रुपये दूँगा! सहमत हो?" भवर्षा ने दांव लगाने के लिए हाथ बढ़ाया, कुछ देर तक राज सोचता रहा! अगर हमने कभी भूत नहीं देखा तो क्या उसका अस्तित्व भी है? लोग कहते हैं! क्या आप इसे देखेंगे? नहीं! फिर भी भावर्ष के पाँच सौ रुपये हम पर बकाया थे - हम हारे तो हारे। "ठीक है!" राज ने भवर्ष के हाथ पर अपना हाथ रख