राजा बलि

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जन्मकर्मवयोरूपविद्यैश्वर्यधनादिभिः । यद् यस्य न भवेत्स्तम्भस्तत्रायं मदनुग्रहः ॥(सुन्दर कुल में जन्म, अच्छे कर्म, युवावस्था, सुन्दर रूप, अर्थकरी विद्या, बड़ा भारी ऐश्वर्य, विपुल धन आदि वस्तुओं को प्राप्त करके जिसे अभिमान न हो- भगवान् कहते हैं—उस पर मेरा परम अनुग्रह समझना चाहिये।)प्रह्लादजी के पुत्र विरोचन और विरोचन जी के पुत्र लोकविख्यात दानिशिरोमणि महाराज बलि हुए। दैत्यकुल में उत्पन्न होने पर भी ये अपने पितामह के समान भगवद्भक्त, दानियों में अग्रणी और प्रात:स्मरणीय चिरजीवियों में गिने जाते हैं। इन्होंने अपने पराक्रम से दैत्य, दानव, मनुष्य और देवताओं तक को जीत लिया। ये तीनों लोकों के एकमात्र स्वामी थे। इन्द्र स्वर्ग लोक के