दर्द दिलों के - 10

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सुबह सुबह आरवी के घर की bell बजती है। आरवी की मां दरवाज़ा खोलती है तो देखती है कि सामने ईशा खड़ी है –अरे ईशा बेटा तुम । आओ आओ तुम भी नाश्ता कर लो। नहीं नहीं आंटी thank you, आरवी कहां है ? ईशा जल्दबाजी में कहती है –अरे बेटा वो तो अपने कमरे में सो रही है जाओ तुम उसे कमरे में ही मिल लो ।इतना कह कर आरवी की मां किचन मे चली जाती है।ईशा आरवी के कमरे में जाती है और आरवी को जगाते हुए कहती है –अरे! झांसी की रानी उठ जा । तुझे पता