लागा चुनरी में दाग़--भाग(१४)

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प्रत्यन्चा और शौकत को जाता देख संजीव मेहरा जी दोबारा मधु से बोले... "अरे! रोक लो उसे,कहाँ जाऐगी बेचारी,जो हुआ उसमें उस बेचारी का क्या दोष था" "इतनी बड़ी दुनिया पड़ी है,कहीं भी मर खप रहेगी,लगता है तुम्हें समाज की फिकर नहीं है,तभी तो ऐसी बातें कर रहे हो,उसे घर में रखा तो बिरादरी से निकाल दिए जाओगे,कोई तुम्हारा छुआ पानी नहीं पिऐगा और भी बच्चे हैं हमारे,जरा उनके बारें में भी तो सोचो",मधु बोली.... "इतनी निर्दयी ना बनो,तुमने उसे जन्म दिया है,नौ महीने अपने गर्भ में रखा है,कुछ तो लिहाज करो", संजीव जी दोबारा बोले.... "नहीं! वो इस घर