मैं एक अंत हूँ एकांत!प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जुड़ाव महसूस किसी को हों या नहीं भी हों पर सब जो कुछ भी हैं था और रहेंगा मेरा ही विस्तार हैं और मुझमें ही सिमट भी जायेंगा, मैं तब भी रहूँगा जब कोई नहीं रहेंगा और तब भी रहूँगा जब सब कुछ रहेंगा क्योंकि मैं तब भी था जब कोई भी नहीं था।सभी मुझसे शिकायत रखते हैं कि मैं बस खुद के साथ रहता हूँ, मैं किसी को भी समय नहीं देता हूँ जो कि बिल्कुल सच हैं क्योंकि यही एकमात्र हकीकत थी हैं और रहेंगी भी क्योंकि मुझे किसी के भी