किसनें कहा कि मैं अकेला पड़ गया ..? मैं उस सभी के एकमात्र सच्चे रिश्तेदार अकेले पन यानी एकांत के ‛ साथ ’ हूँ जो मेरा ही नहीं बल्कि सभी का सच्चा यानी असली साथी अर्थात् रिश्तेदार हैं ..! वों कैसा सच्चा साथी या रिस्तेदार जो हमारें या आपके साथ हैं इसका तो बस भृम मात्र हैं, असलियत तो यह हैं कि उसका आपके साथ रहने का कारण, उसके द्वारा आप पर थोपी वो नाम मात्र की उसकी बेईमान छण भंगुर अतएव धोकेबाज रिस्तेदार उमीदो की ‛ पूर्ति ’ हैं जो उस बेचारे को इस धोके में रक्खी हैं कि