आह्वान प्रेम का - 2

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आह्वान प्रेम का 1. बड़े शातिर हो तुम, जोयूं जा रहे हो मुझे इश्क की लत लगाकरपर क्या जताना चाहते हो,अपना ख्याल रखना अब मुझे यह कहकरकि फिक्र करते हो मेरे लिएमेरी फिक्र की तुम फिक्र ना करोतेरी याद और मेरी तन्हाई काफी है मेरे लिए Rosha 2. दर्द कितना इस दर्द–ए–दिल में जानना चाहते हो तो आओ, बैठो कभी हमारी भी महफिल में Rosha 3. हर दिन की तरह ही मैं तुझे आज भी याद करता हूंवह इश्क तेरा, यह इश्क मेराहै इश्क क्या इस पर कुछ बात करता हूंबड़ी कशमकश के बाद हिम्मत हुई है कुछ कहने की,तो