"खूबसूरती न उम्र की मोहताज है न श्रृंगार की। खूबसूरती तो वो है, जो खुशी के रंग से निखरकर चेहरे पर खिल जाये और नज़र में समा कर होंठों पर बिखर आये। एक ख़ुशगवार चेहरा उम्र की रेखाओं और झुर्रियों की परतों के बावजूद मेकअप से लिपटे मुरझाये चेहरे से कहीं ज्यादा खूबसूरत है..."स्टेज पर खड़ी वनिता इन पंक्तियों को जिस अदा से पढ़ रही थी, उससे ज़ाहिर था कि वह इन पंक्तियों को पढ़ ही नहीं रही, महसूस भी कर रही है। उम्र के चालीस बसंत पार कर चुकी वनिता की खूबसूरती से आज एक अजब-सा अल्हड़पन एक अजब-सी