अपने बेटे हंसराज के मूंह से अपने पोते के लिए इस तरह की बात सुन हेमलता जी बोल पड़ी क्यूंकि वो जानती थी कि अगर उन्होंने बात को यही नही रोका तो बाप बेटे के बीच और तकरार हो जाएगी इस लिए वो बात को सँभालते हुए बोली "क्या हंसु ( हेमलता जी अपने बेटे को प्यार से हंसु बुलाती है )तू फिर मेरे पोते के पीछे पड़ गया हाथ धो कर चल अब अपना नाश्ता ख़त्म कर जा हंक्षित तू भी नहा धो फिर नाश्ता करना ""अब क्या ही नाश्ता होगा चलो रजत दफ्तर चले?" हंसराज जी ने कहा