नीरा बरामदे में आराम कुर्सी पर बैठी बारिश की झिलमिलाती बूंदों को टकटकी लगाये देख रही थी। हाथ में चाय का प्याला था, जिसकी गर्म चुस्कियाँ उस भीगे हुए दिन की ज़रूरत थी।दिल उदास था उसका। सुबह-सुबह ही पतिदेव से ज़ोर-दार झगड़ा हुआ था। यद्यपि पति-पत्नि के बीच नोंक-झोंक और लड़ाई-झगड़ा कोई नई बात नहीं। इसे दांपत्य जीवन का अंश कहा जाये, तो गलत न होगा। प्यार और तकरार का तालमेल ही तो दांपत्य जीवन में रस घोलता है। लेकिन, जब प्यार कहीं गुम हो जाये और बस तकरार ही रह जाये, तब क्या? तब यही उदासी, ठंडा हो चुका