दीदी (बदला रूप)

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दीदीमैं जब शादी होकर ससुराल आई, तो मैंने देखा वहां पर मेरी बड़ी ननद का राज चलता है। और हर कोई उन्हीं की बात मानता था, कोई उनके सामने किसी बात पर बहस नहीं करता था। मैंने अपने पति से बात करने की कोशिश की थी, उन्होंने यही कहा कि "वह जो बोले वह काम कर दो बाकी तुम्हें कुछ बोलने की जरूरत नहीं है अगर वह गलत भी बोलेगी तो हां कह देना" मुझे यह समझ में नहीं आता कि ऐसा क्या है कि हर कोई उनसे डरता है कोई भी उनको कोई बोल नही सकता वह रूठ जाती