प्रेम की चाय

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डाइनिंग रुम साफ करते करते श्रीमती जी ने एक बार और आवाज लगाई। “चाय मिलेगी?” “बस आया रेणु!” “क्या सोचने लग जाते हो चाय चढ़ा कर?”“कुछ नहीं बस यूँ ही”“तुमने तो जैसे चाय उबालते हुए किसी नये दार्शनिक सिद्धांत को खोजने का मन बना लिया है। कैसे खोये रहते हो” “हाहा”“ये लो चाय”“बैठो न”उम्र की ढलान पे काफी आगे निकल आये दोनो शादी के 40 साल बिता चुके रमा बाबू 65 के थे और रेणु 58 की। “जरा गाना लगाओ अब तो ये न्यूज देखने का जी नहीं करता”“हूँ। रवि से बात हुई?”“सुबह कॉल किया था आपके लाल ने। ठीक