आलेख नदी और लोक-जीवन रामगोपाल भावुक नदियाँ केवल जल की धारा ही नहीं अपने साथ लोक- धारा भी सहेजे रहतीं हैं। नदियों ने ही हममें विस्मय, प्रेरणा और श्रद्धा के भाव पैदा किये हैं। नदियों के किनारें फसलें ही नहीं उपजाई जाती बल्कि वे मानव सभ्यता का पालन पोषण भी करतीं हैं। नदियाँ सम्यता की जन्मदात्री रहीं हैं। इसी कारण हम नदियों को माँ के रूप में देखते आये हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इन नदियों के किनारे ही ज्ञान का प्रसार किया था। भगवान श्रीराम का जन्म सरयू किनारे और भगवान