दिन बीतने लगे और ऑफिस के बोरिंग रूटीन में बंधकर राज पेन फ्रेंड की बात भूल गया। मगर शायद तक़दीर मेहरबान थी। एक दिन जब वह ऑफिस से घर लौटा, तो फर्श पर पड़ा गुलाबी रंग का एक लिफ़ाफा नज़र आया, जो यक़ीनन डाकिया दरवाज़े के नीचे से अंदर सरका गया था। उसने लिफ़ाफ़ा उठाया। वह उसके ही नाम था। प्रेषक के नाम की जगह लिखा था - 'बेला!' नाम पढ़कर ही उसके दिल में एक हलचल हुई। लिफ़ाफा खोलने के पहले ही उसका यक़ीन पुख्ता हो चुका था कि ये ख़त ज़रूर उस पत्रिका में उसका नाम-पता देखकर भेजा