संजय महर्षि व्यास के शिष्य तथा धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित सदस्य थे। ये विद्वान गावाल्गण नामक सूत के पुत्र और जाति से बुनकर थे। वे विनम्र और धार्मिक स्वभाव के थे और अपनी स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध थे। संजय धृतराष्ट्र के मन्त्री तथा श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। वे धर्म के पक्षपाती थे, इसी कारण से धृतराष्ट्र के मन्त्री होने पर भी पांडवों के प्रति सहानुभुति रखते थे। धृतराष्ट्र और उनके पुत्रों को अधर्म से रोकने के लिये कड़े-से-कड़े बचन कहने में भी संजय हिचकते नहीं थे। वे राजा को समय-समय पर सलाह देते और दुर्योधन द्वारा पांडवों के