कुब्जा मथुरा के राजा कंस के दरबार की एक कुबड़ी दासी थी। यद्यपि वह कुबड़ी थी, लेकिन सौन्दर्य की धनी थी। वह महल में प्रतिदिन फूल, चन्दन तथा तिलक आदि ले जाने का कार्य किया करती थी। जब भगवान श्रीकृष्ण कंस वध के उद्देश्य से मथुरा आये, तब उन्होंने कुब्जा का कुबड़ापन ठीक कर दिया। कुब्जा श्रीकृष्ण से प्रेम करने लगी थी, भगवान ने उसे अपना कार्य सिद्ध हो जाने के बाद उसके घर आने का विश्वास दिलाया और उसे विदा किया। कालांतर में कृष्ण ने उद्धव के साथ कुब्जा का आतिथ्य स्वीकार किया। कुब्जा के साथ प्रेम-क्रीड़ा भी कीं।