भयानक चित्र यह भी देवदत्त एक साधारण व्यक्ति था। आज के कुछ वर्षो पहले भी वह कूंची का धनी व कला का महारथी था पर वह और उसका परिवार दाने-दाने को तरसता था। कच्ची बस्ती की एक टूटी-फूटी झोंपड़ी में रहने को मजबूर, उसे जब चित्रकारी का कोई काम मिल जाता तो उसे दिल लगा कर करता और परिवार के लिये दो नहीं तो एक वक्त की रोटी का इन्तज़ाम तो हो ही जाता। देवदत्त को देवदत्त चितेरा के नाम से सारा गांव पहचानता। जैसा देवदत्त शांत व संतुष्ट था, ठीक वैसा ही उसका परिवार.... एक वक्त भोजन और दूसरे