सुबह कि धूप - शिक्षक समाज निर्माण कि धुरी होता है वह समय का साक्ष्य बनकर एव धैर्य धीर रहकर राष्ट्र के निर्माण में अपनी सर्वांगीण भूमिकाओं का निर्वहन करता है शिक्षक के अंतर्मन में वह सभी अवयव आयाम अध्याय हिलोरे लेते तूफान कि वेग से स्वंय कि अभिव्यक्ति एव प्रस्तुति करण के लिए आतुर बैचन रहते है ।शिक्षक के अंतर्मन कि अभिव्यक्ति राजनीति में होती है तब चाणक्य का अभिनंदन करते हुए समाज समय एक नए समाज एव एकात्म राष्ट्र के चन्द्रगुप्त का अभिनंदन करता है शिक्षक जब समाज को सात्विक आचरण कि अंतर्चेतना का सामयिक साक्ष्य बन नेतृव