54 लाश उमा बिश्नोई ने भरे गले से बोलना शुरू किया, मेरे माता-पिता नहीं है, मैं अपने चाचा-चाची के साथ गॉंव में रहती थीं, राजेन्द्र के पिता भी उसी गॉंव से थें । बचपन में हम दोनों का रिश्ता तय कर दिया गया । मगर बचपन की बात जवानी में कहाँ समझ आती हैं । मैं शहर पढ़ने आ गई । कॉलेज में मुझे कोई पसंद था, मैंने यह बात चाचा -चाची को बताई तो उन्होंने तो कोई ऐतराज़ नहीं किया, मगर राजेन्द्र के पिता ने हंगामा मचा दिया । बात पंचायत तक ले गए, मैंने राजेन्द्र से बात