एपिसोड ९ काळा जादू "हाँ..! हाँ...! माँ, रुको...मैं यहाँ हूँ...!" इतना कहकर नीताबाई रसोई से बाहर आ गईं। 15-16 कदम चलने के बाद उन्हें बाहर जाने के लिए दरवाजा दिखाई दिया। उसके बाद नीताबाई अपनी आंखों से खुशी के आंसू पोंछते हुए दरवाजे तक पहुंची और एक हाथ से कुंडी खोलने लगी। बता रही थी कि जन्मे बच्चे की जान खतरे में है।नीताबाई पूरी ताकत से दरवाजे का हैंडल खोलने की कोशिश कर रही थी लेकिन दरवाजे का हैंडल नहीं खुल रहा था। उस कादी की केवल और केवल एक विशेष प्रकार की ध्वनि थी। उसी पीछे से फिर एक