बेटी (सचमुच खुशियों का खजाना)

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बेटी (सचमुच खुशियों का खजाना) घर में बहुत ही खुशियों भरा दिन था। शोर उठने बाद चारों ओर बधाई गीत सुनाई दे रहे थे। घर के आँगन में पडोस की औरतें बच्ची के जन्म पर गारी और गीत ढोलक की छाप पर नृत्य करते हुए गा रही थीं। सभी घर के लोग बहुत व्यस्त और प्रसन्न थे। नाई, लोहार, बढ़ई, ढीमर तथा वंशफार मनमाना इनाम ओर कपड़े पाकर बहुत खुश होकर बच्ची और उसके माता - पिता, दादा - दादी और अन्य परिजनों को ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ और आशीर्वाद दे रहे थे। गाने के लिए पडोस में रोज बुलावा लगवाया