ब्रम्हशिर - पार्ट 1

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मयाऽध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम्।हेतुनाऽनेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते । भावार्थः प्रकृति मेरी अध्यक्षतामें सम्पूर्ण चराचर जगत् को रचती है। हे कुन्तीनन्दन ! इसी हेतुसे जगत् का विविध प्रकारसे परिवर्तन होता है। महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था, दुर्योधन के संग्राम में धराशायी होने के पश्चात कृतवर्मा, अश्वत्थामा और कृपाचार्य युद्धभूमि से अलग वन को प्रस्थान कर गए थे। रात्रि का प्रथम प्रहर बीत रहा था। उस भयंकर बेला में दुख और शोक से संतप्त हुए कृतवर्मा, कृपाचार्य तथाअश्वत्थामा एक साथ ही आस-पास बैठ